आखिर क्यों कहा था नेताजी ने कि "मैं जनता को सुई की नोक पर रखूंगा
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जिन्होंने भारत की आजादी में अपना अमूल्य योगदान दिया है, जिनकी मौत आज भी एक रहस्य बानी हुयी है। ये वही है जिन्होंने 1943 में आजाद हिन्द फ़ौज का पुनर्गठन कर "दिल्ली चलो" का नारा दिया और अंग्रेजो को टक्कर दी।
जब भारत की आजादी की तैयारी चल रही थी ( 1944 में ) तो नेताजी जी से एक सवाल पूंछा गया कि "यदि आप स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री बने तो आप करेंगे ?" इस पर नेताजी ने जबाव दिया की यदि मैं स्वतंत्र भारत का प्रधानमंत्री बना तो मैं जनता को सुई की नोक पर रखूँगा , इस पर लोगो को थोड़ा आश्चर्य हुआ फिर आगे नेताजी ने कहा की हमारी जनता एक लम्बे अरसे से गुलाम है जिसे आजादी के मायने भी मालूम नहीं है और उन्हें आजादी के मायने बताने के लिए जनता की इच्छाओं और जरुरत को सुई की नोक पर रखना जरुरी है, और में यही करूँगा यहाँ उनका मतलब जनता के मांगो को सर्वोपरि रखने से था। नेताजी की इस बात को अलग नजरिये से भी काफी देखा गया और विवाद भी हुए।
पर दुर्भाग्य से नेताजी आजादी से लापता हो गए और उनकी मौत एक बहुत ब्बड़ा रहस्य बनकर रह गईं।
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